अब डिप्लोमा आफ फार्मेसी उत्तीर्ण करने के बाद एग्जिट परीक्षा पास करना होगा। उसके बाद ही स्टेट फार्मेसी काउंसिल में फार्मेसी विद्यार्थी का पंजीयन होगा। फ़ार्मासिस्टों में व्यावहारिक ज्ञान और कौशल उन्नयन करने के लिए यह नियम लाया गया है। हाल में देखने में यह आ रहा था कि विद्यार्थियों का फार्मेसी शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है। कोरोना महामारी के दौरान मेडिकल व्यवसाय सबसे ज़्यादा मुनाफे में रहा।
भारत सरकार द्वारा नियमों में बदलाव किया गया है। नान अटेंडिंग पढ़ाई में प्रवेश देने से डिप्लोमा आफ फार्मेसी शिक्षा की गुणवत्ता गिर गई। फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया के पास सैकड़ों शिकायतें देश भर से मिलने लगी। विभिन्न फार्मासिस्ट संगठनों ने भी डिप्लोमा आफ फार्मेसी कोर्स को बंद करने का दबाव बनाया। PCI ने डिप्लोमा फार्मेसी की शिक्षा में सुधार के लिए एग्जिट परीक्षा लागू किया है। Pharmact Exit Exam